नई दिल्ली। शिक्षक बनने की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) ने बीएड (B.Ed) कोर्स को लेकर नए नियम और दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन नए बदलावों का मकसद है देश में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना और भविष्य के शिक्षकों को एक बेहतर शैक्षणिक माहौल उपलब्ध कराना।

अब बीएड कोर्स सिर्फ मल्टी-डिसीप्लिनरी कॉलेज में ही
NCTE के नए नियमों के अनुसार अब सिर्फ बीएड कराने वाले कॉलेजों (Single B.Ed College) को मान्यता नहीं दी जाएगी। यानी अब बीएड की पढ़ाई उन्हीं कॉलेजों में होगी जहां अन्य डिग्री कोर्स जैसे B.A., B.Sc., B.Com. आदि भी चलते हों। यह बदलाव शिक्षा को समग्र और व्यवहारिक बनाने के उद्देश्य से किया गया है।
3 से 10 किलोमीटर के दायरे में होंगे कॉलेज मर्ज
जिन बीएड कॉलेजों की दूरी किसी बड़े डिग्री कॉलेज से 3 से 10 किलोमीटर के भीतर है, उन्हें अब मर्ज (Merge) किया जाएगा। यानी ये कॉलेज अब खुद से अकेले बीएड कोर्स नहीं चला सकेंगे, बल्कि उन्हें पास के बड़े संस्थान के साथ मिलकर शिक्षा देनी होगी।
2030 तक सभी कॉलेज होंगे मल्टी-डिसीप्लिनरी
NCTE की योजना के अनुसार, साल 2030 तक देश के सभी बीएड कॉलेजों को मल्टी-डिसीप्लिनरी संस्थानों में बदला जाएगा। इससे छात्रों को एक व्यापक शैक्षणिक वातावरण मिलेगा, जिससे न केवल डिग्री मिलेगी, बल्कि व्यवहारिक ज्ञान और बहुआयामी विकास भी होगा।
हर कॉलेज में सिर्फ 50 छात्रों को मिलेगा दाखिला
अब हर बीएड कोर्स में अधिकतम 50 छात्रों को ही एडमिशन दिया जाएगा। इससे पढ़ाई की गुणवत्ता बनी रहेगी और शिक्षकों पर ध्यान केंद्रित करने में सुविधा होगी। छोटे बैच में छात्रों को बेहतर प्रशिक्षण मिल सकेगा।
छोटे कॉलेजों के लिए राहत की खबर
जो छोटे कॉलेज बंद होने की कगार पर हैं या जिनके पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं, उनके लिए एक विकल्प उपलब्ध कराया गया है। ये कॉलेज अब किसी बड़े कॉलेज के साथ सहयोग (Collaboration) कर सकते हैं। इसके लिए दोनों कॉलेजों को आपसी समझौता (Agreement) करना होगा। इसके बाद वे शिक्षक, भवन, पुस्तकालय, प्रयोगशाला आदि संसाधनों का साझा उपयोग कर सकेंगे।
आखिर इस बदलाव का मकसद क्या है?
NCTE द्वारा किए गए इस बड़े बदलाव का सीधा उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना है। अब छात्र सिर्फ डिग्री नहीं बल्कि व्यवहारिक और बहुविषयक ज्ञान भी प्राप्त कर सकें, इस दिशा में यह एक अहम कदम है।
- सिर्फ बीएड करवाने वाले कॉलेजों को बंद करना।
- छात्रों को बेहतर वातावरण और संसाधन देना।
- छोटे कॉलेजों को बंद होने से बचाना और उन्हें बड़े कॉलेजों से जोड़ना।